Breaking News
बद्रीनाथ हाईवे पर लामबगड़ के पास उफान में आया नाला, पांडुकेश्वर बैरियर पर रोका यातायात
अब नहीं लगा सकेंगे सांसद शपथ के दौरान नारे, स्पीकर ओम बिरला ने बदल डाले हैं लोकसभा के नियम
जनपदों में निजी पैथोलॉजी लैब्स की जांच करेंगे सीएमओ
असम, मणिपुर में बाढ़ का हाहाकार! भारी बारिश से 48 लोगों की मौत, हजारों लोगों का सफल रेस्क्यू
“स्वच्छता के सिपाही” पुस्तक का विधानसभा अध्यक्ष ने किया विमोचन
टीम इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात, अब विजय परेड में लेंगे हिस्सा 
निर्माण श्रमिकों के बच्चे भी अब बनेंगे इंजीनियर और फैशन डिजाइनर, दून में 58 व हल्द्वानी में 256 बच्चों को दी जा रही शिक्षा 
चैन की नींद सोना है तो दुरुस्त कर लें अपना खानपान, वरना परेशानी में पड़ जाएंगे
हाथरस हादसे की एफआईआर में ‘भोले बाबा’ उर्फ नारायण साकार का नाम क्यों नहीं, यहां जाने 

असम के चुनावी दौरे से पीएम मोदी ने कुछ इस तरह किए रामलला के ‘सूर्य तिलक’ के दर्शन

नई दिल्ली। अयोध्या में रामनवमी के अवसर पर ढेरों तैयारियां की गई हैं। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। इस मौके पर रामलला की विशेष पूजा अर्चना की गई। इसके बाद रामलला के दिव्य सूर्य तिलक का अद्भुत नजारा भी देखने को मिला। असम के चुनावी दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भी इस दुर्लभ क्षण के साक्षी बने। पीएम मोदी ने सूर्य तिलक का अद्भुत नजारा हेलिकॉप्टर में देखा और खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी भी दी। दरअसल, जब राम मंदिर में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ समारोह हो रहा था उस समय प्रधानमंत्री मोदी असम के नलबाड़ी में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। जनसभा के तुरंत बाद उन्होंने हेलिकॉप्टर में बैठकर अपने टैब में उस अद्भुत पल में रामलला का दर्शन किया। खास बात यह रही कि जिस समय PM रामलला के सूर्य तिलक का अद्भुत क्षण देख रहे थे, उस समय उनके पैर में जूते नहीं थे।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘नलबाड़ी की सभा के बाद मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत और अप्रतिम क्षण को देखने का सौभाग्य मिला। श्रीराम जन्मभूमि का ये बहुप्रतीक्षित क्षण हर किसी के लिए परमानंद का क्षण है। ये सूर्य तिलक, विकसित भारत के हर संकल्प को अपनी दिव्य ऊर्जा से इसी तरह प्रकाशित करेगा।

अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करके 5.8 सेंटीमीटर प्रकाश की किरण से रामलला के मस्तक को रोशन किया गया। इसके लिए एक विशेष उपकरण डिजाइन किया गया था. रामनवमी पर इस शुभ आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए 10 वैज्ञानिकों की एक टीम राम मंदिर में तैनात थी।दोपहर 12 बजे से लगभग 3 से 3.5 मिनट तक, दर्पण और लेंस के संयोजन का उपयोग करके सूर्य की रोशनी को रामलला के माथे पर सटीक रूप से निर्देशित किया गया।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ. एस के पाणिग्रही ने बताया कि ‘सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा और हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है।’ उन्होंने बताया कि रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top