उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव में भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
चुनाव में जहां-जहां कमजोर दिखी स्थिति, धामी बने तारणहार
अति व्यस्तता के बावजूद प्रदेश के कोने-कोने तक प्रचार को पहुंचे मुख्यमंत्री धामी
देहरादून। निश्चित तौर पर यह नगर निकायों के चुनाव में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। आंकडे़ इसकी तस्दीक कर रहे हैं। वर्ष 2027 के नजरिये से इसे ‘सत्ता का सेमीफाइनल’ माना गया और भाजपा ने इसे जीत लिया। भाजपा की जीत में सीएम पुष्कर सिंह धामी सबसे बडे़ स्टार बनकर चमके हैं, जिन्होंने पार्टी के प्रचार अभियान का प्रभावी नेतृत्व किया। नगर निकायों के चुनाव के नतीजों से धामी की धमक जमी है।
नगर निकाय चुनाव में भाजपा की जीत को कई मायनों में खास माना जा रहा है। कुल 11 नगर निगमों के मेयर पद के चुनाव में से दस पर भाजपा की जीत का आंकड़ा अपनी कहानी खुद कह रहा है। यह चमकता हुआ आंकड़ा भाजपा ने इससे पहले कभी नहीं देखा। नगर निगमों से इतर नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के 89 पदों के लिए चुनाव हुए थे। इनमें से 30 से ज्यादा जगहों पर भाजपा के अध्यक्ष जीतकर आए हैं। निकायों में पार्षदों के चुनाव में भी भाजपा का दबदबा कायम रहा है। दरअसल, नगर निकायों के चुनाव में भले ही स्थानीय मुद्दे हावी रहते हों, लेकिन सरकार के कामकाज को भी कसौटी पर रखा गया था। भाजपा अब कहने की स्थिति में है कि धामी सरकार के कामकाज पर यह जनता की मुहर है।
अपने अति व्यस्त शेड्यूल के बावजूद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जिस हिसाब से चुनाव में पसीना बहाया, उसका मीठा फल भाजपा को मिला है। चुनाव के दौरान प्रदेश के जिस निकाय में पार्टी संकट में आई, वहां पर पार्टी संगठन की नजरें सबसे पहले सीएम धामी पर ही जाकर टिकी। इसी दौरान, यूसीसी, राष्ट्रीय खेल और दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे विषयों पर सीएम की खासी व्यस्तता भी रही, लेकिन वह हर जगह पहुंचे और पार्टी प्रत्याशियों को ताकत दी। निकायों की इस जीत ने आगामी पंचायती चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी भाजपा के आत्मबल को अब आसमान पर पहुंचा दिया है।
चल पड़ा धामी का दिया ट्रिपल इंजन का नारा
नगर निकाय चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार करते वक्त सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हर जगह मतदाताओं से एक ही अपील की। यह अपील थी कि नगर निकायों में भाजपा को जिताकर विकास में ट्रिपल इंजन जोड़ दें। पहला इंजन उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार और दूसरा इंजन प्रदेश सरकार को बताया। तीसरे इंजन के रूप में निकायों में भाजपा के बोर्ड को चुनने की उन्होंने अपने हर भाषण में बात की। इसका असर देखने को भी मिला। भाजपा की जीत में इस नारे से अहम भूमिका देखने को मिली है।
निगमों में सबसे ज्यादा व कम अंतर की जीत
नगर निकाय चुनाव में यूं तो कई जगह अलग-अलग वजह से भाजपा की जीत खास रही है, लेकिन दो नगर निगम में भाजपा की जीत के अंतर ने सबका ध्यान खींचा है। प्रदेश के सबसे बडे़ और पुराने नगर निगम देहरादून में भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल का जीत का अंतर 1,05000 से अधिक मतों का रहा है, जो कि सर्वाधिक है। इसके विपरीत, पिथौरागढ़ नगर निगम में पार्टी प्रत्याशी कल्पना देवलाल सिर्फ 17 मतों से विजयी रही हैं। कहा जा सकता है कि भाजपा यहां पर हारी हुई बाजी जीती है।
इसलिए खास है भाजपा की जीत
-उत्तराखंड के 11 नगर निगमों में से दस में जीत हासिल।
-कुल 100 नगर निकायों में 40 से ज्यादा सीटों पर जीत।
-सबसे बडे़ देहरादून नगर निगम में बंपर मतों से विजय।
-नगर निगम अल्मोड़ा एवं पिथौरागढ़ के पहले निकाय चुनाव में सफलता।
-हरिद्वार और कोटद्वार में पिछली हार का हिसाब बराबर।
-पिथौरागढ़ मेें हारी बाजी पलटी, 17 वोटों से जीत छिनी।
-तीर्थनगरी ऋषिकेश के प्रतिष्ठित चुनाव में जीत दर्ज की।
-सीएम के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत चारों निकायों में जीत।
-मसूरी नगर निकाय में पहली महिला अध्यक्ष की विजय।
-रूड़की नगर निगम के चुनाव में पहली बार विजय पताका।