Breaking News
नाबालिग के साथ बर्बरता की हदें पार, बर्थ-डे पार्टी में बुलाकर नग्न कर पीटा, फिर चटवाया थूक
नाबालिग के साथ बर्बरता की हदें पार, बर्थ-डे पार्टी में बुलाकर नग्न कर पीटा, फिर चटवाया थूक
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी के दोनों मुकाबले नहीं खेलेंगे मोहम्मद शमी
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी के दोनों मुकाबले नहीं खेलेंगे मोहम्मद शमी
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने ₹37 करोड़ की लागत के विभिन्न मोटर मार्गो का किया शिलान्यास 
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने ₹37 करोड़ की लागत के विभिन्न मोटर मार्गो का किया शिलान्यास 
मिड-डे मील में छात्रों को परोसी जायेगी ईट राइट थाली
मिड-डे मील में छात्रों को परोसी जायेगी ईट राइट थाली
अरविंद केजरीवाल ने की एक और चुनावी घोषणा, दिल्ली में 24 घंटे मिलेगा साफ पानी
अरविंद केजरीवाल ने की एक और चुनावी घोषणा, दिल्ली में 24 घंटे मिलेगा साफ पानी
26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के मौके पर दिए जाएंगे ‘प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार’ 
26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के मौके पर दिए जाएंगे ‘प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार’ 
महेश बाबू की फिल्म एसएसएमबी 29 पर आया बड़ा अपडेट, जनवरी में शुरु होगी शूटिंग
महेश बाबू की फिल्म एसएसएमबी 29 पर आया बड़ा अपडेट, जनवरी में शुरु होगी शूटिंग
नगर निकाय चुनाव में दम आजमाने वाले नेताओं को अब देना होगा अपना आपराधिक ब्योरा
नगर निकाय चुनाव में दम आजमाने वाले नेताओं को अब देना होगा अपना आपराधिक ब्योरा
नीति घाटी में ठंड से जमे नदी, नाले व झरने, पर्यटक आने से खुली कई दुकानें व होम स्टे
नीति घाटी में ठंड से जमे नदी, नाले व झरने, पर्यटक आने से खुली कई दुकानें व होम स्टे

सरकार का बड़ा निराशाजनक कदम

सरकार का बड़ा निराशाजनक कदम

अशोक शर्मा  
9 अगस्त को कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एक महिला डॉक्टर की नृशंस बलात्कार एवं   हत्या के बाद तरह-तरह की टिप्पणियां एवं अजीबोगरीब बयान सामने आए हैं। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में से एक में महिलाओं के लिए रात की ड्यूटी कम करने की बात कही गई है। इसके अनुसार “जहां तक संभव हो, महिलाओं के लिए रात की ड्यूटी को यथासंभव टाला जाना चाहिए” । ये बात समझ से परे है कि ये निर्देश कार्यस्थल पर महिलाओं की   सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेंगे? यह रूढ़िवादी कदम महिलाओं के ऊपर होने वाली हिंसा को रोकने के बजाय विभिन्न कार्य क्षेत्रों से महिलाओं की संख्या को बहुत कम कर देगा। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के तिमाही बुलेटिन के अनुसार, भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की शहरी महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी दर अप्रैल-जून 2024 में 25.2% आंकी गई है जोकि बेहद कम है।

केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवाओं, फैक्ट्रियों कॉल सेंटर, ऑटो ड्राइवर, होटल और पत्रकारिता आदि जैसे पेशों में कार्यरत महिलाएँ कहीं भी और कभी भी सुरक्षित रूप से काम करने में सक्षम हों। काम पर उनके समय को कम करने से महिलाओं की नौकरी और उनकी वित्तीय स्वतंत्रता ही खत्म होगी। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी अन्य दिशानिर्देशों के  अंतर्गत   रत्तिरेर शाथी (रात्रि के साथी)’   नामक अभियान की शुरुआत की गई है जिसके अनुसार महिलाओं के लिए अलग से विश्राम कक्ष और शौचालय बनाने, सीसीटीवी के साथ सुरक्षित क्षेत्र बनाने और एक विशेष मोबाइल फोन ऐप लॉन्च करने जैसे कई उपाय शामिल हैं, जो कि   पहले से ही लागू होने चाहिए थे। कोलकाता मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार को अपनी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा पर गौर करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स की घोषणा की। लैंगिक हिंसा हर क्षेत्र में गंभीर चिंता का विषय होनी चाहिए, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र में, जहां महिलाएं बड़ी संख्या में कार्यरत हैं।

2012 के दिल्ली बलात्कार के बाद व्यवस्था में लाए गए व्यापक बदलाव, जैसे कि सख्त कानून और कड़ी सजा, पर्याप्त नहीं हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट(अब तक उपलब्ध), बताती है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4.45 लाख मामले दर्ज किए गए।  इस हिसाब से हर घंटे लगभग 51 एफआईआर। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी   कहा है कि प्रोटोकॉल सिर्फ कागजों पर नहीं हो सकते। 2017 में, जब न्यायालय 2012 के दिल्ली बलात्कार मामले में आरोपी चार लोगों की मौत की सज़ा की पुष्टि कर रहा था, तो न्यायमूर्ति आर. भानुमती ने कहा था कि कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के अलावा, समाज की मानसिकता में बदलाव और लैंगिक न्याय के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा से निपटने में काफ़ी ज्यादा मददगार साबित होगा। आर.जी. कर बलात्कार के बाद, महिलाओं द्वारा कोलकाता और देश के अन्य हिस्सों में “रिक्‍लेम द नाईट जैसे अभियान   चलाए  जा रहे हैं और उनकी मांग ये है कि रात में महिलाओं के काम करने पर लगाई  पाबंदियां हटाई जाये बजाय इसके,  उनको सुरक्षित माहौल दिया जाये ताकि वे  भी बेखौफ दिन हो या रात हो,  अपने अपने कार्यक्षेत्र में सुरक्षित तरीके से काम कर सके और आत्मनिर्भर बनकर परिवार, सोसाइटी  देश के लिए योगदान दे सकें।

इन सभी घटनाओं से  , उनके कारण महिलाओं और पूरे देश में फैले आक्रोश तथा फलस्वरूप हो रहे विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर सरकार एवं सोसाइटी को नींद से जाग जाना चाहिए और इसे चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए एवं अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए इस दिशा मे कङे   से कड़े  कदम उठाकर प्रभावी रूप से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चत करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दुबारा न हों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top