प्राचीन काल से ही भारत ज्ञान विज्ञान सहित सभी विधाओं में अग्रणीय रहा है। पिछले 1000 साल की पराधीनता ने हमारे ज्ञान प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया। लेकिन समय बदला है और नए युग में भारत फिर से अपने पुरातन गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन चंद्रयान और मिशन मंगल की सफलता इसका एक उदाहरण है। मिशन चंद्रयान से जुड़े एक भारतीय वैज्ञानिक ने फिर से एक उपलब्धि हासिल की है।
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से भू-विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, प्रो. (डा.) अनिल दत्त शुक्ला जी का चंद्रमा की उत्पत्ति को लेकर शोधपत्र प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ है। गढ़वाल विवि में नियुक्ति से पूर्व डा. शुक्ला भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद में चंद्रयान से जुड़े अभियान के विज्ञानियों की टीम में शामिल रहे। साथ ही 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर उत्तरे यान के रोवर में लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर संयंत्र बनाने वाली विज्ञानियों की टीम के भी वह प्रमुख सदस्य रहे।
डा. शुक्ला ने बताया कि इस स्पेक्ट्रोमीटर को बनाने में लगभग दस साल का समय लगा। चंद्रयान की सफल लैंडिंग पर रोवर ने इसी स्पेक्ट्रोमीटर संयंत्र की मदद से चंद्रमा की जमीन की जांच का सिलसिला शुरू किया था। उन्होंने बताया कि इससे मिले डाटा का विश्लेषण एवं अध्ययन कर उन्हें शोध के माध्यम से चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में नया आयाम भी मिला।
शोध के निष्कर्ष से स्पष्ट हो रहा कि चंद्रमा लावा के समूह से बना है। अब वह चंद्रमा की उत्पत्ति को लेकर अगले चरण के शोध कार्य में जुट गए हैं। विश्वविद्यालय के भू- विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट, फैकल्टी व छात्र छात्राओं ने इस उपलब्धि के लिए डा. शुक्ला अभिनंदन किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल में डा. शुक्ला का शोध प्रकाशित होने से गढ़वाल विश्वविद्यालय का मान बढ़ा है और यह पूरे विश्वविद्यालय परिवार के लिए गौरव की बात है।